काव्य धारा

जलता दृश्य
जिसकी सोच है जैसी
उसकी समझ है वैसी
दृश्य है एक..
किंतु अर्थानर्थ अनेक..!!
चाँद-बादलों की दोस्ती न्यारी
आपस में खेले खेल-मिचौनी
कभी ढ़के चंदा को बादल कारे..
तो कभी छिपे चंदा बादलों के पीछे..
दृश्य है एक..
किंतु अर्थानर्थ अनेक..!!
जो बलहीन समझे चंदा को,
वह बलवान नहीं..
जो बलवान समझे बादलों को,
वह बेशक़ बलहीन है..
जो डरपोक समझे चंदा को,
वह कदाचित निडर नहीं..
फिर कमजोर है कौन..?
कमजोरी है किसकी..?
दृश्य है एक..
किंतु अर्थानर्थ अनेक..!!
तुम भी नहीं थे,सही हर दम..
वो भी नहीं था,गलत हर पल..
फिर भी फैल रहीं,ये गलत फैमियाँ
एक दूसरे की निंदा में,हमेशा निकलती खामियाँ
कैसी यह साजिश..?
कौन है पीछे इसके..?
बादल चंदा के अटूट संबंध को बिगाड़ रहे..
दोस्ती भुलाकर, है दुश्मनी मोल ले रहे...
स्वार्थ में नफरत की रोटियाँ सेक रहे..
एक दूसरे पर हमेेशा ज़हर उगल रहे...
किसका करें विरोध..?
और करें किसका समर्थन..?
किसका दोष है ज्यादा
और किसका है कम
किस तराजू में तोलोगे इसे..?
दोनों में दोषी ठहराओगे किसे..?
चंदा है प्यारे
बादल भी न्यारे
कायम रहें दोनों के सपने..
सार्थक बने जीवन अपने...
दृश्य है एक..
किंतु अर्थानर्थ अनेक..!!
एस.ए.(हिंदी)
जि.प.उ.पा.गुंडुमाल,कोस्गी(मंडल)
नारायण पेट(जिला),
तेलंगाना (राज्य)-509339
चरवाणीः9966320024
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