Showing posts with label हे मानव - विजय मेहंदी (काव्य धारा). Show all posts
Showing posts with label हे मानव - विजय मेहंदी (काव्य धारा). Show all posts

Saturday, June 4

हे मानव - विजय मेहंदी (काव्य धारा)

काव्य धारा


‌‌मानव जाति को एक प्रेम सौहार्द भरा संदेश

                        हे मानव 

      आपस में प्रेम की रसधार  बहाओ मानव।
      दिल से तूं  द्वेष  अहंकार  मिटाओ मानव।।
 कुछ अपनी बात से  महफ़िल  को‌ जीत  लेते हैं।
कुछ बातों ही बात में ‌ महफ़िल से खिसक लेते हैं।।
कुछ  उतरते दिल में, कुछ दिल से ही उतर लेते हैं।
 कुछ   आपसी  द्वेष   को   ही   हवा  खूब देते हैं।।
       मन  से  मल ‌‌ मन का तूं ‌ हटाओ  मानव।
       दिल से तूं द्वेष अहंकार मिटाओ मानव।।
 कुछ  अपने   हम  में   हमदम   को भूल जाते हैं।
कुछ कुछ के गम में  खुद का‌‌ गम ही भूल जाते हैं।।
कुछ  कुछ के गम में ही‌ ,  अपनी‌‌  खुशी   पाते  हैं।
कुछ कुछ की खुशी में ही अपनी खुशियां पाते हैं।।
    छल से अपने तूं अब तो बाज आओ मानव।
    दिल से  तूं   द्वेष  अहंकार   मिटाओ मानव।।
 कुछ ढूंढते कमियां‌ दूजे में,न खुद की कबूल पातेहैं।
ढूंढते ‌ आम  नित हैं पर  , ‌ खुद  में   बबूल  पाते  हैं।।
कुछ  तो  शातिर   हैं  जो  ,  अपनों  में छुपे  बैठे  हैं।
 कुछ तो हैं  भोले,हो बेखबर अपनों से लुटे बेठे हैं।।
    खुद से तूं खुद का शातिर भाव हटाओ मानव।
    दिल   से    तूं    द्वेष  अहंकार मिटाओ मानव।।


 मौलिक रचना-
 विजय मेहंदी 
(कविहृदय शिक्षक)
उत्कृष्ट कम्पोजिट विद्यालय शुदनीपुर,मड़ियाहूं, जौनपुर, उ०प्रदेश,भारत🇮🇳 सम्पर्क सूत्र -9198852298

-------------------------------------------------------------------------------------
Call us on 9849250784
To join us,,,

प्रकृति - जुबेर हवालदार (Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "ऑपरेशन सिंदूर की शौर्यगाथा")

    (Geeta Prakashan Bookswala's Anthology  " ऑपरेशन सिंदूर की शौर्यगाथा")             प्रकृति 💐..................💐 नदिया, त...