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Saturday, June 4

वंदेमातरम् - प्रसादराव जामि (काव्य धारा)

काव्य धारा


वंदेमातरम्                          

वंदेमातरम् वंदेमातरम् वंदेमातरम्
वंदेमातरम् वंदेमातरम् वंदेमातरम्

पूरब में बंगालखाड़ी है,
पश्चिम में अरेबिया समुंदर है,
उत्तर में हिम-हिमालय है,
दक्षिण में हिंदमहासागर है।।वंदेमातरम्।।


सोने जैसा पंजाब है,
चांदी जैसा गुजरात है,
मोती जैसा मराठा है,
हीरा जैसा द्रविड़ है।।वंदेमातरम्।। 

गोमेद जैसा उत्कल है,
वैदूर्य जैसा बंगा है,
माणिक जैसा विंध्य है,
नीलम जैसा हिमालय है।।वंदेमातरम्।।

पन्ना जैसा थार है,
मुख्य राज जैसा असाम है,
तामड़ा जैसा बिहार है,
मूंगा जैसा गंगा है।। वंदेमातरम्।।


प्रसादराव जामि
साहित्यकार एवं संपादक
तेलंगाना, भारत

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