काव्य धारा

नारी
नारी स्वयं चेतना है,
चेतन में चेतना नारी से।
नारी स्वयं ही आशा है,
आशा में आशा नारी से।
नारी स्वयं प्रेरणा है,
प्रेरक मैं प्रेरणा नारी से।
नारी स्वयं ही विद्या है,
विद्या में विद्या नारी से।
नारी स्वयं ही शक्ति पुंज,
शक्ति में शक्ति नारी से।
नारी स्वयं ही ममतामयी,
ममता में ममता नारी से।
नारी स्वयं साधना है,
साधना में साधना नारी से।
नारी स्वयं ही तपोभूमि,
तपस्या में तपस्या नारी से।
नारी ही नर की जननी है,
सुंदरतम सृष्टि स्रष्टा की।
जग का अस्तित्व नहीं नारी बिन,
यह तो विधाता की भी माता ही।
राजकुमार शर्मा मधुराज
शिक्षक रा प्रा वि रिंगरोटया की ढ़ाणी, दौसा
निवासी जयपुर, राजस्थान
मोबाइल नंबर 966793 8683
861 957 5516