Sunday, June 12

प्यारी बिटिया - वेद प्रकाश दिवाकर (काव्य धारा)

काव्य धारा


प्यारी बिटिया


है मेरी बेटी ,घर की शान,
उस पर है मुझको अभिमान ।
सौ जन्मों की पुण्य करम से,
मिला मुझको है तू वरदान ।।

धन्य मानु अपने जीवन को,
है मेरी बेटी लक्ष्मी समान ।
महके बगिया मेरे घर आंगन की,
भरी खुशियों से मेरा जहान ।।

सुनकर उसकी तुतली जुबान,
मिट जाती मेरी सारी थकान ।
ठुमक - ठुमक कर शोर मचाती,
नखरे करती बनती अनजान ।।

चुटुर - पुटुर की उसकी बानी ,
और बनती है बड़ी सयानी ।
उस पर बसती सबकी जान ,
बेटी  मेरी  परी  समान ।।

मेरी  बेटी  मेरी  शान ,
उस पर है मुझको अभिमान ।।



वेद प्रकाश दिवाकर
पासीद सक्ती
81037 99457

-------------------------------------------------------------------------------------
Call us on 9849250784
To join us,,,

No comments:

Post a Comment

इक्कीसवीं सदी के महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री चेतना - नाज़िमा (Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "शब्दानंद")

इक्कीसवीं सदी के महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री चेतना 💐..............................................................................