काव्य धारा

एक रिश्ता
ह्रदय और आँखों का होता एक रिश्ता गहरा।
दर्द-ए-दिल हो तो आँखों में अश्क ठहरा।।
जब इसको ठेस लगे तो आँखें रोती।
दिल बैचैन हो तो ये भी चैन खोती।।
इनके चर्चे तो है बड़े ही मशहूर।
एक पल भी न रह पाए दूर।।
दिल की दीवानगी आँखें करती बयाँ।
दिल की दास्तां न कह पाए जुबाँ।।
तुम्हारी दोस्ती पर फना होने को जी चाहता।
ये दिल इन आँखों पर ही इतराता।।
वक्त गवाह है इस एक बात का भी।
दिल संग आँखों के गम- ए-रात का भी।।
दिल के संग रात-भर जागे और सोये भी।
इसकी दोस्ती खातिर संग हँसे भी रोये भी।।
स्वरचित
श्रीमती सुशीला देवी
(शिक्षिका एवं साहित्यकार)
करनाल ,हरियाणा।