Friday, May 23

दहेज एक अभिशाप - मिथुन भारती (Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "HUMSAFAR Shabdhoan ka")

  (Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "HUMSAFAR Shabdhoan ka")




     दहेज एक अभिशाप

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दहेज एक अभिशाप


दहेज मांगने वाले होते, शर्मनाक इन्सान है,

सच कहता हूँ, जो नारी का घटाते देखो मान है!

महत्व देते पैसे को,बहू हो गोरी या कारी,

दहेज की बलि चढ़ती है, देखो अनगिनत नारी!

नई पीढ़ी के साथी, दहेज से इन्कार करो,

ईश्वर की रची दृष्टि से, नारी का सम्मान करो!

दहेज मांगने वाले होते, शर्मनाक इन्सान है

सच कहता हूँ, जो नारी का घटाते देखो मान हैं!

नीलामी करते है बेटों की,ऐसे परिवार से बचना होगा,

दहेज जैसे अभिशाप को, समाज से उखाड़ फेंकना होगा!

दहेज मांगने वालों, अब तो कुछ शर्म करो,

 सुन लो बेटी वालों, मत यहां कन्यादान करो!

दहेज एक अभिशाप है, ये बड़ी

 बीमारी है,

इससे बचना व बचाना, हम सब की कर्तव्य पूर्ण जिम्मेदारी है!

दहेज मांगने वाले होते, शर्मनाक इन्सान हैं

सच कहता हूँ, जो नारी का घटाते देखो मान हैं!

        

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© मिथुन भारती 

सहायक अध्यापक

प्राथमिक विद्यालय खेड़ाशिलाजीत 

विकास खण्ड- सरीला

जनपद- हमीरपुर 

उत्तर-प्रदेश पिन कोड 210422

99565 39635

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