Wednesday, June 22

जय जवान - जि. विजय कुमार (काव्य धारा)

 काव्य धारा


जय जवान


भारत देश के वीर पुत्र

देश के लिए सेवा करने वाला।

देश की रक्षा करने वाला।

मरते दम तक युद्ध करने वाला।

देश का तिरंगा ऊंचा उठाने वाला।

आप नही तो देश नही।

पूरा देश आप पर निर्भर है।

आप सीमा पर डटे रहे तो ,

हम घर में सुरक्षित रहते है।

देश का पहला देश भक्त आप है।

निस्वार्थ देश की सेवा करने वाला।

हम लोगों की  खुशी के लिए

अपना जीवन न्यौछावर करने वाला।

हिम में,वन में,जल में,धूप में बसने वाला।

हरदम खतरों से खेलने वाला।

अपने घर परिवार को छोड़कर,

देश को परिवार समझकर सेवा करने वाला।

विश्व में देश का गौरव बढ़ाने वाला।

आप पर हम सब को गर्व है।

जय भारत, जय जवान।



जि. विजय कुमार

हैदराबाद, 

तेलंगाना

96427 14014

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