काव्य धारा

वाह रे वीर जवान !
तू है कितना महान ?
मैं
कैसे करूँ तेरी वीरता का बखान ?
तेरी वर्दी है मस्त, हाथों मे घातक शस्त्र ,
तेरे कवायद (परेड) से दिशाएं गूँज उठे
सर्वत्र ।
न जाने तेरी जननी , न पता तेरे गाँव का ,
फिर भी तू ने दिया वचन हमारी रक्षा का ।
वाह रे वीर जवान ! तू है कितना महान ?
घर परिवार से मीलों दूर तेरी है ज़िंदगानी ।
तू है बड़ा दानी, जान से बढ़कर कैसी कुर्बानी ?
तेरे बुलंद हौसलें हिमालय से भी टकरा दें ।
तेरी अपार शक्ति लहरों को भी थमा दे ।
जब दुनिया चैन से सोती मोह निद्रा में ,
तब तू बेचैन रहता सरहद पार बंकरों में ।
वाह रे वीर जवान ! तू है कितना महान ?
सुरक्षा हो या राष्ट्र निर्माण, तेरा अपूर्व
योगदान ,
आँधी हो या और आपदा , सेवा तेरी महान ।
ये तिरंगे की लाज तू हमेशा रखता ,
देश की सेवा में तू कभी न थकता ।
“जय जवान “ का नारा हुआ चरितार्थ तुझसे ,
“मेरा भारत महान “ का सपना संपन्न तुझसे ।
वाह रे वीर जवान ! तू है कितना महान
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