Monday, June 20

वाह रे वीर जवान - मिर्ज़ा सरदार बेग (काव्य धारा)

काव्य धारा


वाह रे वीर जवान

वाह रे वीर जवान !  तू है कितना महान ?

मैं कैसे करूँ तेरी वीरता का बखान ?

 

तेरी वर्दी है मस्त, हाथों मे घातक शस्त्र ,

तेरे कवायद (परेड) से दिशाएं गूँज उठे सर्वत्र ।

 

न जाने तेरी जननी , न पता तेरे गाँव का ,

फिर भी तू ने दिया वचन हमारी रक्षा का ।

वाह रे वीर जवान !  तू है कितना महान ?


घर परिवार से मीलों दूर तेरी है ज़िंदगानी ।

तू है बड़ा दानी, जान से बढ़कर कैसी कुर्बानी ?

 

तेरे बुलंद हौसलें हिमालय से भी टकरा दें ।

तेरी अपार शक्ति लहरों को भी थमा दे ।

 

जब दुनिया चैन से सोती मोह निद्रा में ,

तब तू बेचैन रहता सरहद पार बंकरों में ।

वाह रे वीर जवान !  तू है कितना महान ?


सुरक्षा हो या राष्ट्र निर्माण, तेरा अपूर्व योगदान ,

आँधी हो या और आपदा , सेवा तेरी महान ।

 

ये तिरंगे की लाज तू हमेशा रखता ,

देश की सेवा में तू कभी न थकता ।

 

“जय जवान “ का नारा हुआ चरितार्थ तुझसे ,

“मेरा भारत महान “ का सपना संपन्न तुझसे ।


वाह रे वीर जवान !  तू है कितना महान

मैं कैसे करूँ तेरी वीरता का बखान ?



मिर्ज़ा सरदार बेग
Karimnagar
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