काव्य धारा

खुदा जाने
विश्वास है आत्मविश्वास है
पराया नही जीनेका सहारा है ll
जान है तो शान है शहेनशहा है
मान है अपमान है स्वाभिमान है ll
नाम है तो धाम है उसमें मंदिर है
इस मंदिरके हम तो पुजारी है ll
मेरा बाकी है कुछ तेरा बाकी है
साथ मिल जाये तो बढियाॅं है ll
काम है तो काम में दाम भी है
यहाॅं रहे न रहे जिंदगी अमर है ll
राष्ट्रीय कवि
डॉ श्री खंडु रघुनाथ माळवे-खरमा
(राष्ट्रपति पुरस्कार2003)
उर्फ डॉ खं र माळवे मुंबई
J555 रिझर्व्ह बँक काॅलनी
मराठा मंदिर मुंबई सेंट्रल
मुंबई 400008
Kharama60gmail.com
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