Friday, June 17

जब शिकवे शिकायतें - बबिता प्रजापति (काव्य धारा)

काव्य धारा


जब शिकवे शिकायतें


जब शिकवे शिकायतों को
खूंटी पे टांग देती हूँ
एक अजब सा बोझ
दिल से उतार देती हूँ।
भूल जाती हूँ
लाखों कमियां इस ज़माने की
रुई सा खुद को
हल्का मान लेती हूँ।
फिर मैं देखती हूँ जो
शाश्वत सत्य है,
संसार से मोह व्यर्थ है
इच्छाएं जो 
सुरसा सा मुंह फैलाती ही हैं
पर....
आत्मसंतोष ही जीवन का
सही अर्थ है।




बबिता प्रजापति
झांसी (उत्तर प्रदेश)
89318 43921

-------------------------------------------------------------------------------------
Call us on 9849250784
To join us,,,

No comments:

Post a Comment

इक्कीसवीं सदी के महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री चेतना - नाज़िमा (Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "शब्दानंद")

इक्कीसवीं सदी के महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री चेतना 💐..............................................................................