(Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "ऑपरेशन सिंदूर की शौर्यगाथा")
रक्षा करना मां रण चंडी।
भारत के रणधीरों की।
कांप रहा है पाक आज ये।
शक्ति देख रणवीरों की।।
युद्ध हुआ है आज भयंकर।
करें सामना दुश्मन का।
उसके सारे ड्रोन गिराकर।
एहसास कराया पौरुष का।।
सुनो पाक के आतंकी तुम।
रात आज की है भारी।
आई है अब मौत तुम्हारी।
शुरू हो गई बम बारी।।
बतलाया था भूल न करना।
भूल करी तुमने सारी।
उकसाया है भारत को अब।
बिजली मिले न अब वारी।।
आतंकी को छुपा छुपा कर।
शेखी खूब बघारो तुम।
चुन चुन कर सबको मारेंगे।
आज नहीं छोड़ेंगे हम।।
जाग गया है वीर हमारा।
अब नहीं रुकने वाला।
खतम करे आतंक को यह।
अब नहीं झुकने वाला।।
बढ़ते जाओ वीर सपूतों।
भारत मां के लाल तुम।
सबक सिखा दो दुश्मन को अब।
साथ खड़ी हैं जनता हम।।
लहरा दो तुम आज तिरंगा।
भारत मां के भाल पर।
आपरेशन करके सिंदूर।
गुलाल लगा दो गाल पर।।
जय हिन्द जय भारत,
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© हेमा जोशी स्वाति
सेवा निवृत्त सहायक खण्ड विकास अधिकारी
लोहाघाट , जनपद, चम्पावत, उत्तराखंड
94567 60615
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