A literary blog sharing literary information ... manage by GEETA PRAKASHAN
Call 9849250784 and please mail your articles with your photograph to geetaprakashan7@gmail.com
Friday, January 31
जीवन है अनमोल - प्रतिभा सुधीर त्रिपाठी (गीता प्रकाशन द्वारा प्रकाशित साझा संकलन से)
(गीता प्रकाशन द्वारा प्रकाशित साझा संकलन से)
जीवन है अनमोल
💐...................................💐
(लावणी छंद)
दुनियादारी में पड़-पड़कर, करम कलुष कर जाते हो।
जीवन है अनमोल सभी का, फिर भी व्यर्थ बिताते हो।
!!१!!
काया को दूषित मत करना, काया तो वरदानी है।
तन-मन को जो स्वच्छ रखेगा, सुखी वही जिनगानी है।
क्या पाओगे संचित करके, छूट यहीं सब जायेगा।
धर्म अगर कर लेते हो तो, वही संग में जायेगा।
स्वयं नरक में डूबे फिर भी, औरों को समझाते हो।
जीवन है अनमोल सभी का, फिर भी व्यर्थ बिताते हो।
!!२!!
अब तो पहचानों शुभता को, जिससे पावन कर्म रहे।
सभी कलुषता से दूरी हो, और मनुजता धर रहे।
बनना और बिगड़ना जग में, होता है निज हाथों में।
फिर क्यों पड़ जाता है मानव, छल छद्मों की बातों में।
No comments:
Post a Comment