Wednesday, August 10

बेजुबान पशु पक्षियों को समर्पित - वन्दना जोन "स्तुति" (मैं कविता...)

 (मैं कविता...)


बेजुबान पशु पक्षियों को समर्पित  

एक दिन मैं गाड़ी से स्कूल जा रही थी,
रास्ते में गाय भैंसे बहुत आ  रही थी |

मैंने जैसे ही स्कूटी की रेस को धीरे किया,
गाय चराने वाली महिला ने मेरा पीछा किया |

देखकर यह-2, मैंने अपनी गाड़ी को वहां रोक लिया,
और बोतल निकालकर पानी का दो घूंट पिया|

*महिला ने आकर यू बोला--2
अपने हवाई जहाज को धीरे चलाया करो,
और रास्ते में आने वाले निरीह पशु पक्षियों को बचाया करो |

इस तरह से अनावश्यक  दुर्घटना भी नहीं होगी,
नहीं तो खुदा के दरबार में बड़ी सजा होगी |

मैंने कहा - काकी, मैं तो गाड़ी धीरे ही चलाती हूं,
बस 40 से 60 की स्पीड में ही भगाती हूं |

काकी कहने लगी, सुबह से देख रही हूं,सड़क  खून से सनी पड़ी थी,
क्योंकि रास्ते में कबूतर चिड़िया और गिलहरी मरी पड़ी थी--2 |

काकी एकदम सही थी, गिलहरिया तो रोज मरती थी ,
और यह दृश्य रोज मैं आते जाते देखा करती थी |

पर देखने के बावजूद भी मैं कुछ नही कर सकती थी,
ज्यादा से ज्यादा बस एक कविता लिख सकती थी |

उनकी जिंदगी का हुआ यह नुकसान कौन उठाएगा,
देखना यह पाप हम सबके सिर पर आएगा |

गनीमत तब है, जब कोई अपनी गाड़ी धीरे चलाएगा,
नहीं तो हर जीव अपने साथी के लिए आंसू बहाएगा-2|

वन्दना जोन "स्तुति"
भटेरी
7568160875
--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------


-----------------------------------------------------------------------------------------------

Call 83417 38804 @ EDITOR Omkar Sardiwal

Call 9849250784 for more details on Book. 
Book Published by
GEETA PRAKASHAN
Hyderabad
6281822363


-----------------------------------------------------------------------------------------------------


scan to see on youtube



scan to join on WhatsApp




BOOK PUBLISHED BY :

GEETA PRAKASHAN

INDIA

Cell 98492 50784

geetaprakashan7@gmail.com

---------------------------------------------------------------------------------

do you want to publish your writing through our BLOGPAGE ?

Please call us 62818 22363

No comments:

Post a Comment

इक्कीसवीं सदी के महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री चेतना - नाज़िमा (Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "शब्दानंद")

इक्कीसवीं सदी के महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री चेतना 💐..............................................................................