काव्य धारा

भारत माता
भारत माता प्रिय जननी।
विश्व विजेता शुभकरिणी।
धरणी उज्जवल विभवशालिनी।
पुण्य भूमि विश्वशालिनी।।
प्रबध्द शुद्ध सुधामयी।
पृथ्वी रक्षा क्षमामयी।
लोक कल्याण वात्सल्यमयी।
स्नेह-प्रेम शांतिकारिणी।।
संसार की तू क्षेमामयी।
अपराध की तू क्षमामयी।
करुण स्वर की तू दयामयी।
दिव्य शक्ति धारण ज्योर्तिमयी।।
प्रकृति की सदैव भयनिवारिणी।
जगत की सदा शरणदायिनी।
जग की नित्य मंगलकारिणी।
ममता समता जीवनधारिणी।।
सावित्री जामि "चेतना"
साहित्यकार
तेलंगाना, भारत
7659074993
No comments:
Post a Comment