(Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "ऑपरेशन सिंदूर की शौर्यगाथा")
नदिया, तालाब, नहर, बांधों को
मिलकर स्वच्छ बनाओ तुम ।
जल और वायु है प्राणधारा तुम्हारे
इन्हें प्रदूषण मुक्त बनाओ तुम ।
पेड़ लगाओ तुम, प्रकृति बचाओ तुम ।
धरोहर है जो तुम्हारी नस्लों की
उस पर्यावरण को बचाओ तुम।
पेड़ पौधे हैं जिनके बच्चे
उस प्रकृति की पुकार सुनो तुम ।
पेड़ लगाओ तुम, प्रकृति बचाओ तुम ।
जिसके होने से होती है वर्षा,
उन्हें काटकर स्वार्थी मत बनो तुम।
रक्षक हैं जैसे वीर सैनिक तुम्हारे,
उस तरह के रक्षक प्रकृति के बनो तुम।
पेड़ लगाओ तुम, प्रकृति बचाओ तुम ।
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© जुबेर हवालदार
लेखक
हीरेमठ गल्ली ओल्ड टाउन भालकी - 585328
8971830349
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