काव्य धारा

देश आजादी के नाम
रो रहा है देश,
और तुम आजादी की बात करते हो।
लोकतंत्र के नाम पर,
इंसानियत का कत्लेआम करते हो।
राजनीति की नुमाइश,
तुम बाजारों में करते हो।
आजादी के नाम पर,
तुम सब का शोषण करते हो।
नहीं चाहिए ऐसी आजादी,
गर समानता का अधिकार न मिले।
नहीं चाहिए ऐसी आजादी,
गर मानवता का साथ न मिले।
हिंदू मुस्लिम करते-करते,
तुमने खोया अपना भाई-चारा है।
झूठे नारे खूब लगाते,
अपना भारत प्यारा है।
लोकतंत्र की आड़ में देश को ही लूट रहे,
भ्रष्टाचारी राजनेता देश का खून चूस रहे।
फुटपाथ पर पड़ा देश,
आज खुद पर रो रहा।
बोलो भारतवासी इस देश का क्या हो रहा ।।
श्रीमती रश्मि बुनकर
पद-प्राथमिक शिक्षक
शाला-एकीकृत शा.शा.मा.वि.जालमपुर
+91 78283 20101
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