Saturday, June 18

प्रकृति - स्वप्ना वाघेश्वरी (काव्य धारा)

काव्य धारा


प्रकृति 

बहुत ही सुंदर हमारी प्रकृति हैं।
ऋतुओं का यहाँ आना-जाना हैं।
         प्रकृति हमें सब कुछ देती है।
         सब कुछ हम पर न्योछावर कर देती है।
सूरज की देन से सब जगह उजाला है।
वर्षा के कारण हर जगह हरियाली हैं।
        पृथ्वी,पहाड़, समुद्र,नदियाँ ,झीलें 
         ये सब हमारी साथी हैं।
जो कुछ हम मांगे प्रकृति से
छप्पर फाड़कर दे देती है।
           जितनी हमारी जरूरत हैं,
           उससे ज्यादा हम पाते हैं।
फल,फूल,साग-सब्जियाँ,
स्वच्छ जल और औषधियाँ।
        हम मनुष्य इतना कुछ पाने पर भी
        प्रकृति को नष्ट पहुँचा रहे हैं ।
अब तो आँखें खोलों ,
हमारी प्रकृति की रक्षा हम खुद करें।
       संकल्प करें की प्रकृति की रक्षा करेंगे ,
हमारी भविष्य पीढिय़ों को स्वच्छ प्रकृति को देंगें।
 

स्वप्ना वाघेश्वरी
हिंदी अध्यापिका
रघुनाथपल्ली
जिला:जनगाम
फोन:9866755214

-------------------------------------------------------------------------------------
Call us on 9849250784
To join us,,,

No comments:

Post a Comment

इक्कीसवीं सदी के महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री चेतना - नाज़िमा (Geeta Prakashan Bookswala's Anthology "शब्दानंद")

इक्कीसवीं सदी के महिला कहानीकारों की कहानियों में स्त्री चेतना 💐..............................................................................